Friday, March 1, 2013

जीरो डार्क थर्टी : यातना के सहारे महिला सफलता का दिशानिर्देश


जेरो डार्क थर्टी के खिलाफ प्रदर्शन. फोटो - वर्ल्ड कान्त वेट डॉट नेट से साभार 
-- सूसी डे

(जीरो डार्क थर्टी एक हालीवुड फिल्म है जिसमें अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए और अमरीकी सेना द्वारा बिन लादेन की हत्या का रोमांचक विवरण प्रस्तुत किया गया है. इस फिल्म का निर्देशन एक महिला ने किया है और इसे महिला निर्देशिकाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रूप से आयोजित एक समारोह में पुरष्कृत किया गया है. उस महिला निर्देशिका के बारे में एक जानेमाने पुरुष फिल्म समीक्षक ने कहा है कि वह “बहुत ही बेहतरीन, हालीवुड की सबसे मर्दाना निर्देशक है.”


जीरो डार्क थर्टी : यातना के सहारे महिला सफलता का दिशानिर्देश     

l. पृथ्वी

पृथ्वी पर निगाह डालें. पृथ्वी पर रहने वाले 7 अरब लोगों में से अधिकांश महिलायें हैं. महिलाऐं पुरुषों से अलग हैं. आखिर महिलायें पुरुषों से अलग क्यों हैं? क्योंकि, अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी संस्थाओं के मुताबिक कई मामलों में महिलाओं का विशेष प्रतिशत साफ-साफ झलकता है. देखिये महिलाओं का प्रतिशत—

·         दुनिया के ग़रीबों में 70 प्रतिशत महिलायें हैं.
·  दुनिया के कुल काम का 66 प्रतिशत महिलायें करती हैं, फिर भी दुनिया की आमदनी का                                   सिर्फ 10 प्रतिशत पाती हैं.  
·          दुनिया के 7,20,00,000 बच्चे जो स्कूल नहीं जाते, उनमें 55 प्रतिशत लड़कियाँ हैं.
·           हर 3 में से 1 महिला के साथ लिंगभेद पर आधारित हिंसा होती है. 

ये बहुत ही खराब प्रतिशत हैं. खराब प्रतिशत क्यों हैं ये? क्योंकि ये विश्वव्यापी लिंगभेद को दर्शाते हैं. लिंगभेद क्या है? यह धारणा कि महिलायें पुरुषों से हीन हैं. महिलाये लिंगभेद पर विजय कैसे हासिल कर सकती हैं? आइये टीवी देखते हैं! 

ll. द गोल्डन ग्लोब

पुरस्कार समारोह देखिये. गोल्डन ग्लोब टेलीविजन और फिल्म के क्षेत्र में कलात्मक उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है. जरा ध्यान से देखिये! जोर-शोर से प्रचारित किया गया कि इस बार के समारोह में महिलाओं की प्रतियोगिता होगी, जहाँ “ सशक्त महिला प्रभावी होगी. अब पुरस्कार जीत कर महिलाओं का लिंगभेद पर विजय हासिल करना देखिये.

देखिये किस तरह दो मजेदार महिला चोबदार पुरस्कार दे रही हैं. देखिये एक नाजुक सी गोरी महिला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार हासिल करते, जिसने एक टीवी नाटक में दुष्ट मुसलमानों से लड़नेवाले सीआईए एजेंट की भूमिका निभाई थी. अब देखिये एक नाजुक सी लाल बालों वाली गोरी महिला को एक फ़िल्मी ड्रामा में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतते, जिसने दुष्ट मुसलमानों के उत्पीडन में सहायता करनेवाली एक सीआईए एजेंट की भूमिका निभाई थी. जीतो, जीतो, जीतो! 
  
देखिये कि ये दोनों महिलायें किस तरह नाजुक और गोरी होने के गुण को शीर्ष पर होने के मर्दाने गुण के साथ मिलान करती हैं. उन्होंने इस बात का अविष्कार किया है कि अगर आप को लिंगभेद पर विजय पाना है तो (क) अमरीका की क़ानूनी नागरिकता हासिल कीजिए; (ख) आप सुडौल और तीखे नाक-नक्श वाला लुभावना पश्चिमी सौंदर्य हासिल कीजिए जिसे फिल्माया और पर्दे पर दिखाया जा सके; (ग) 20,00,000 डालर मूल्य का नीचे-गलेवाला गाउन पहनिए और (घ) ऐसी कहानियों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका निभाइए जिसमे दिखाया गया हो कि अत्याचार किस तरह किसी पुरुष को भी हीन बना देता है. 

lll. जीरो डार्क थर्टी

देखिये ओसामा बिन लादेन को ढूंढने और उसकी हत्या करने के बारे में पहली उच्च तकनीकी, बड़ी बजट की फीचर फिल्म. पुनर्विचार बिलकुल नहीं. 

इसके बजाय यह देखिये कि इसका निर्देशन किसने किया. फिल्म की निर्देशिका एक महिला है. उसके पास गोल्डन ग्लोब भले ही न हो, लेकिन उसमें मर्दानापन जरुर है. उसमें मर्दानापन क्यों है? एक जानेमाने पुरुष फिल्म समीक्षक ने इस औरत के बारे में कह है कि वह “बहुत ही बेहतरीन, हालीवुड की सबसे मर्दाना निर्देशक है.” धन्यवाद, श्रीमान फिल्म समीक्षक! हम औरतें यह जानती हैं कि हम कोई बढ़िया काम कर रही होती हैं जब आप हमारे बारे में “मर्दाना” और “बेहतरीन” लिखते हैं!

निर्देशिका के मर्दानापन ने उसे सिनेमाई जोखिम उठाने की इजाजत दी. उन जोखिमों में एक खास चीज क्या है? निर्देशिका ने उच्च कोटि की कलात्मकता का ऐसा यथार्थ और सजीव चित्रण किया है जैसे आप सब कुछ अपनी आँखों के सामने घटते हुए देख रहे हों और इस शैली को डरावनी फिल्मों जैसे दृश्यों के साथ गूँथ दिया है. उसने घटिया दर्जे की स्टंट फिल्मों के स्तर को अमरीकी ज्ञानरंजन (इन्फोटेन्मेंट) के स्तर तक ऊँचा उठा दिया. देखिये कि किस तरह हमें ज्ञानरंजित किया जाता है—

IV. अच्छा मुसलमान सिर्फ वही है, जिसकी तहकीकात हुई हो

देखिये कि 11 सितम्बर को वर्ल्ड ट्रेड टावर पर हमले में कैसे 3,000 इंसानों की त्रासद मौत होती है. ये मत देखिये कि उस घटना के बाद से इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमरीकी हमले, बमबारी और ड्रोन हमलों में कितने हजारों हजारों हजारों हजार लोगों को किस तरह मौत के घाट उतारा जाता है. उस फ्लैशबैक को मत देखिये कि उस इलाके में तेल का दोहन करने के लिए अमरीका ने किस तरह तानाशाह शासकों को खड़ा किया और उनका समर्थन किया. पश्चिमी देशों के उन प्रतिबंधों पर भी निगाह मत डालिए, जो 11 सितम्बर 2001 से वर्षों पहले इराक पर लादे गये थे, जिसने लगभग 5,00,000 लाख इराकी बच्चों की जान ले ली थी. इस बात को भी मत देखिये कि अव्वल तो लोगों को बिन लादेन की हत्या किये जाने की समझ पर ही उबकाई आ रही थी या किसी की भी राजनितिक हत्या पर, जो एक राष्ट्रपति की गुप्त “हत्या सूची” पर आधारित हो.

V. न्याय नहीं, सिर्फ गोरी शान्ति

जल्दी ही सभी रंगो और डिजाइनों के बालों वाली अमरीकी महिलाओं को युद्ध की अगली कतारों में तैनात किया जायेगा. किसलिए, देखिये! पेंटागोन ने हाल ही में घोषणा की है कि वह महिलाओं को युद्ध की अगली कतारों में तैनाती का आदेश जारी करेगा! हाँ-हाँ, अमरीकी सेना जैसे दोस्त हों तो नारीत्व की परवाह भला किसे है?

शुक्रिया, छरहरी, लाल बालोंवाली, गोरी औरत! तुमने हम महिलाओं का मार्ग प्रशस्त किया है! जब हम लोग डार्क थर्टी के अँधेरे में अपने खराब प्रतिशतों को लिए हुए भटक रही थीं, तुमने चरम प्रतिहिंसा से हमारा साक्षात्कार कराया.

इसने हमें अपने स्तब्धकारी उपसंहार तक पहुँचा दिया—यहाँ संयुक्त राज्य अमरीका में – और यूरोप में भी जो कुछ ही दशकों पहले तक हमारा विकट “मूल निवास” था— न्याय का रंग गोरा है. 

(सूसी डे एक लेखिका हैं जो मुख्यतः बच्चों और किशोरों के लिए लिखती हैं. उनका यह लेख मंथली रिव्यू में प्रकाशित हुआ था, जहाँ से अभार सहित इसे लिया गया है. अनुवाद- दिगम्बर.)