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Saturday, August 31, 2013

आयरिश कवि सीमस हीनी की कविता -- खुदाई

seamus-heaney

आयरिश कवि सीमस हीनी का कल (30-08-2013 को) देहांत हो गया. 1995 में इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था. इनको ज़मीन से जुड़े एक संघर्षशील कवि के रूप में जाना जाता है. प्रस्तुत है इनकी स्मृति में इनकी एक कविता का हिंदी अनुवाद-

खुदाई

मेरी ऊँगली और अंगूठे के बीच
टिकी है पुरानी सी कलम, बंदूक की तरह चुस्त-दुरुस्त

मेरी खिड़की के बाहर खनखनाती-किरकिराती
कंकरीली ज़मीन के भीतर धंसती कुदाल की आवाज़
खुदाई कर रहे हैं मेरे पिता, मैं देखता हूँ नीचे

फूलों की क्यारी के बीच उनका तना हुआ पुट्ठा
कभी निहुरता नीचे, कभी ऊपर उठता
वे खेत खोदते ताल मिलाते झुकते-तनते
चला गया बीस बरस पहले मेरा मन
ज़हाँ वे आलू की खुदाई कर रहे थे.

कुदाल की बेंट थामे मजबूत हाथों से
आलू के थाले पर मारते जोरदार गहरा दाब
धंसाते ज़मीन में और उकसाते बेंत को आगे धकिया कर
तो ताज़ा मिट्टी में सने आलू छितरा जाते
जिनको चुनकर हम महसूस करते
उनका कठिन परिश्रम अपनी नन्ही हथेली पर.

हे भगवान, यह बूढा आदमी तो अपने पिता की तरह ही
भांजता है कुदाल.

मेरे दादा कोंड़ सकते थे दिन भर में टोनर के दलदल में
दूसरे किसी भी आदमी से अधिक खेत.
एक बार मैं उनके लिये ले गयाएक बोतल दूध
कागज़ की ढीली डाट लगा कर. खोल कर पी गये गटागट
फिर सीधे जुट गये और करीने से खींची डोल
और क्यारी बनाई, हाँफते हुए हौले हौले
खोद-खोद कर बना दिया सुन्दर खेत.

आलू के खेत की ठंडी खुशबू, पौधों के नीचे हलकी थपकी
निराई में निकले गीले कुश, मेड की छिलाई से उभर आई
मिट्टी से झांकती ताज़ा कटी जड़ों की याद आ गयी मुझे
लेकिन मेरे पास कुदाल नहीं कि अनुसरण करूँ
उन जैसे लोगों का.

मेरी ऊँगली और अंगूठे के बीच
टिकी है पुरानी सी कलम,
इसी से खुदाई करूँगा मैं.

(अंग्रेजी से अनुवाद - दिगम्बर)