विकल्प
सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच
Tuesday, April 1, 2008
फरमाने-खुदा
उठ्ठो, मेरी दुनिया के गरीबों को जगा दो !
कारब-ए-उमरा (अमीरों के महल) के दरों-दिवार हिला दो !
-----इक़बाल
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