भूपेन हजारिका का मशहूर गीत- “ओ
गंगा तुमि बोई छो केनो,” पॉल रोबसन के ऐतिहासिक गीत “Ol’ Man River” पर आधारित है.
पॉल रोबसन ने इसे 1928 में गाया था. पॉल रोबसन ने मिसिसिपी के जरिये अपने ज़माने का
दर्द बयान किया है और भूपेन दा ने अदभुत रचनाशीलता के साथ गंगा के माध्यम से
भारतीय जनमानस की पीड़ा-व्यथा को उजागर किया है.
प्रस्तुत है इस गीत का मूल अंग्रेजी
पाठ जिसे ओस्कर हैमरस्टीन ने लिखा था. साथ ही इस गीत का हिंदी में हुबहू अनुवाद भी
दिया जा रहा है.
इस गीत को सुनना अपने आप में एक नया
अनुभव है. गीत की पृष्टभूमि में जिस अमरीकी जीवन का चित्रण है, उसे आज के अमरीकी
और अमरीकापरस्त शायद अपनी आँखों से ओझल कर देना ही पसंद करेंगे. अतीत को याद करने
के बजाय उसे भुला देना ही उनके लिए सुविधाजनक है.
लगभग विस्मृति के गहरे अंधरे में पड़ी ऐसी जनपक्षीय धरोहरों से बावस्ता होना नयी पीढ़ी के लिए बेहद जरूरी है, जो सृजन और
संघर्ष की उस सतत प्रवाहमान धारा के अंग हैं, जिसे मजबूत बनाने में पॉल रोबसन की बेजोड़
भूमिका रही है.
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Ol’ Man River,
by Oscar Hammerstein, as sung by Paul Robeson, 1928: Dere's an ol' man called de Mississippi Dat's de ol' man dat I'd like to be! What does he care if de world's got troubles? What does he care if de land ain't free? You an' me, we sweat an' strain, Body all achin' an racked wid pain, Tote dat barge! Lif' dat bale! You gits a little drunk, An' you lands in jail. Ah gits weary An’ sick of tryin’ Ah’m tired of livin’ An’ skeered of dyin’, But Ol’ Man River He jes’ keeps rollin’ along. |
(एक बूढा आदमी जिसका नाम है मिसिसिपी
यही है वह बूढा आदमी जैसा मैं होना चाहता हूँ!
परवाह नहीं करता वह अगर दुनिया में मुसीबतें हैं?
परवाह नहीं करता वह अगर धरती आज़ाद नहीं?
तुम और मैं, हम पसीना बहाते हैं और तनाव सहते हैं
पूरे शरीर में चुभन है और पोर पोर दुखता है
खींचो जोर लगा कर उस बाजरे को
ढोवो उस गट्ठर को
तुमने थोड़ी पी क्या ली
कि डाल दिए गए जेल में
ओह, थक कर दोहरा हो गए
ऊब गए कोशिश करते करते
जीने से ऊब गए
डरते हैं मरने से
मगर ये बूढी नदी मिसिसिपी
निरंतर बहती जा रही है.)
मेरे लिए यह नई जानकारी है..शुक्रिया
ReplyDeleteप्रेरक प्रसंग के लिए धन्यवाद.
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