Thursday, March 12, 2009

शील जी की कविता - मध्यम वर्ग

खाते-पीते दहशत जीते , घुटते-पिटते बीच के लोग,
वर्ण धर्म पटखनी लगाता, माहुर गाते बीच के लोग,
घर में घर की तंगी नंगी, भ्रम में भटके बीच के लोग,
लोभ-लाभ की माया लादे , झटके खाते बीच के लोग,
घना समस्याओं का जंगल, कीर्तन गाते बीच के लोग,
नीचे श्रमिक विलासी ऊपर, बीच में लटके बीच के लोग.

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