Thursday, October 24, 2013

आलोचनात्मक नजरिया के बारे में --बर्तोल्त ब्रेख्त


bartolt brekht


आलोचनात्मक नजरिया

बहुतेरे लोगों को निष्फल जान पड़ता है

क्योंकि लगता है उन्हें

कि सरकार पर कोई असर नहीं होता

उनकी आलोचना का.

मगर इस मामले में जो निष्फल नजरिया है

वह तो महज नज़रिए का कमज़ोर होना है.

आलोचना को धारदार बनाओ

तो इसके ज़रिये

धूल में मिलायी जा सकती हैं राजसत्ताएं.


नदियों की धारा मोड़ना

फलदार पेड़ों की कलम बाँधना

किसी व्यक्ति को पढ़ाना

राजसत्ता का रूपांतरण

ये सब उदहारण हैं आलोचनात्मक नजरिये के

और साथ ही साथ कला के भी.

(अनुवाद- दिगम्बर)

2 comments:

  1. समकालीन और संघर्षशीलता से आबद्ध कविता !

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