Tuesday, October 11, 2011

वाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा आंदोलन ने अब धनाढ्यों पर निशाना साधा

जॉर्ज डब्लू बुश युग में बनायी गयी मुक्त व्यापार की नीतियों से प्रेरित, कमरतोड़ मंदी की मार को लगभग चार वर्षों तक सहने के बाद ऐसा लगता है कि अमरीकी वामपंथ अब व्यापक विरोध के लिए जाग उठा है.

वाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा आंदोलन का न्यूयॉर्क शहर अभियान ने, चौथे सप्ताह में प्रवेश के बाद, अपना पहला निशाना बैंकरों और हेज फण्ड मैनेजरों को बनाने का निश्चय किया है जिन्हें वे 2008 के वित्तीय विध्वंश और उससे उत्पन्न आर्थिक दलदल के लिए असली जिम्मेदार मानते हैं।

इस सप्ताह उन्होंने मुक्त बाजार पूँजीवाद के उन गढों पर सीधा निशाना साधा है जिन्होंने पूरे अमरीका को बेचैन और व्याकुल कर दिया है. उन्होंने मैनहटन के विलासितापूर्ण रिहायशी इलाकों पर कब्जा करने की योजना बनायी है जहाँ करोड़पतियों-अरबपतियों का निवास है.

मंगलवार (11 अक्टूबर) को वाल स्ट्रीट पर कब्जा आंदोलन के लगभग 400 से 800 प्रदर्शनकारियों ने अपने आम रिहायशी इलाकों से करोड़पतियों के इलाके की ओर कूच करने की योजना बनायी।

खबरों के मुताबिक़ इस नए दौर के विरोध प्रदर्शन का निशाना जे पी मौर्गन चेज के मुख्य अधिकारी जेमी डिमोन, अरबपति व्यापारी डेविड कोच, वित्तपति होवर्ड मिल्स्टीन, हेज फण्ड के धुरंधर जॉन पौलसन और न्यूज कौर्प के मालिक रूपर्ट मरडोक को बनाया गया है.

फौक्स न्यूज़ की रिपोर्ट है कि जुलूस में प्रदर्शनकारी अपने हाथों में एक बड़े आकार का चेक लेकर चलेंगे जो इस बात को प्रदर्शित करेगा कि इस साल के अन्त में न्यूयॉर्क प्रांत के करोड़पतियों द्वारा चुकाए जाने वाले 2 प्रतिशत टैक्स को जब समाप्त कर दिया जायेगा तो उसके बाद से इन धनाढ्यों को टैक्स में कितनी अधिक छूट मिलेगी.

मीडिया ने प्रदर्शन के एक आयोजक डॉज फोरान्ड को उद्धृत करते हुए कहा कि “पहले ही बेइंतहां अय्याशी की जिंदगी जीने वालों की जेब भरने के लिए की गयी इस टैक्स माफी के चलते न्यूयॉर्क के 99 प्रतिशत निवासियों को पहले से भी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.” उनका कहना था कि यह टैक्स माफी वित्तीय, आर्थिक और नैतिक रूप से गलत है.

(12 अक्टूबर को ‘द हिन्दू’ में प्रकाशित नारायण लक्ष्मण की रिपोर्ट का अनुवाद, प्रस्तुति- पारिजात)

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