- दिगम्बर
अमरीका का नया पैंतरा। उसने ईरान पर सऊदी अरब के राजदूत की हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस मामले में ईरान के ख़िलाफ़ सभी विकल्पों को खुला रखने और ईरान के ख़िलाफ़ कठोर प्रतिबन्ध लगाने की भी घोषणा की है।
अमरीकी सरकार का दावा है कि उसने एक ऐसी साज़िश को विफल कर दिया है जिसका मकसद वॉशिंगट स्थित सऊदी अरब के राजदूत की हत्या करना था और जिसमें ईरानी सरकार की मिलीभगत थी. 11 अक्टूबर को न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने इस मामले में दो ईरानी नागरिकों पर सऊदी अरब के वाशिंगटन स्थित राजदूत की हत्या के षडयंत्र का आरोप लगाया है.
ईरान ने कहा है कि ये आरोप मनगढ़ंत हैं.
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि जब तक अमरीकी सरकार को यह मालूम न हो कि वह अपने आरोपों को किस तरह से साबित कर सकती है, तबतक वह ऐसा कोई मामला सामने नहीं लाती. याद रहे कि अमरीकी विदेश मंत्री कॉलिन पावेल ने 2003 में संयुक्त राष्ट्र संघ के आगे ऐसा ही खोखला दावा किया था कि अमरीका के पास सद्दाम हुसैन द्वारा व्यापक जनसंहार के हथियार बनाने के पक्के सबूत हैं. आगे चल कर अमरीका ने इसी झूठ का सहारा लेते हुए इराक पर वहशियाना जुल्म ढाये, जो आज भी जारी है. ईरान के पास नाभकीय हथियार होने के अमरीकी आरोप भी झूठे साबित हुए हैं.
अमरीका का कहना है कि ईरान सरकार को इस मामले की जानकारी चाहे नहीं भी रही हो, लेकिन ईरान की सरकार में शामिल किसी व्यक्ति की ऐसी गतिविधियों की जवाबदेही उसी की है. यह तर्क कुछ वैसा ही है जैसे लोक कथाओं के बाघ ने मेमने को सोते का पानी गन्दा करने का आरोप लगाया. मेमने ने कहा की मैं तो सोते के नीचे हूँ , भला यहाँ से मैं पानी कैसे गंदा कर सकता हूँ? इस पर बाघ ने कहा कि तुमने नहीं तो तुम्हारे किसी रिश्तेदार ने गन्दा किया होगा.
उधर अल जजीरा ने इस पूरे मामले की बखिया उधेड़ते हुए इसे किसी जासूसी सिनेमा का कथानक बताया है. अमरीका ने ईरानी नागरिकों पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री करनेवाले एक अमरीकी अपराधी की मदद से मक्सिको के लॉस जेतास गैंगस्टरों को सउदी राजदूत की हत्या का ठेका दिया था. नशीले पदार्थों से जुड़े अपराधों की मुखबिरी करनेवाले इस शख्स ने बताया था की उसके चाचा के एक ईरानी दोस्त महबूब अरबाबसियर ने यह कम सौंपा था। अब तो बस इतना ही करना था की इस किस्से की तार ईरानी रिवोलुश्नरी गार्ड कोर (कुद्स) से जोड़ दिया जाय और ईरान पर 'कड़ी कार्रवाई' का तर्क तैयार. मजेदार बात यह की एफबीआई के निदेशक ने अपने बयान में भी यही बात कही है – “इस साजिश का प्लाट किसी हालिउड फिल्म की पटकथा जैसा है।”
असमाधेय और गहराते आर्थिक संकट तथा वालस्ट्रीट पर कब्ज़ा करो आंदोलन की दोहरी मार झेल रही अमरीकी सरकार की यह ड्रामेबाजी कोई अनोखी बात नहीं. पहले भी वह अपने इशारे पर नाचने से इनकार करने वाले देशों के ऊपर ऐसे ही मनगढंत आरोप लगा कर धौंसपट्टी करता रहा है.
वाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा करो आन्दोलन जिस तरह अमरीकी साम्राज्यवाद के कुकर्मों का पर्दाफाश कर रहा है और जिस तरह अरब दुनिया की जनता अपने तानाशाहों के खिलाफ सडकों पर उतर रही है, उससे ध्यान भटकने के लिए अमरीकी शासकों की और से किसी उन्मादी कार्रवाई को अंजाम दिया जाना कोई अचरज कि बात नहीं.
लाखों करोड़ डालर का कर्ज लेकर दुनिया की निहत्थी और बेकसूर जनता पर कहर बरपा करने, अपने देश की जनता को कंगाली में धकेलने, नाक तक कर्ज में डूबने और अपनी साख गवां चुकने के बावजूद अभी अमरीकी शासकों का कलेजा ठंडा नहीं हुआ. वियतनाम की लड़ाई में मात खाने तथा इराक और अफगानिस्तान में करारी हार से उसने कुछ सबक नहीं ली. अमरीका की नब्बे फीसदी जनता और पूरी दुनिया की जनता के दिलों में अमरीकी दरिंदगी के खिलाफ जो लावा जमा हुआ है, वह उसे खाक में मिलाएगी, ये तय है. बस समय की बात है.
अमरीका का नया पैंतरा। उसने ईरान पर सऊदी अरब के राजदूत की हत्या का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस मामले में ईरान के ख़िलाफ़ सभी विकल्पों को खुला रखने और ईरान के ख़िलाफ़ कठोर प्रतिबन्ध लगाने की भी घोषणा की है।
अमरीकी सरकार का दावा है कि उसने एक ऐसी साज़िश को विफल कर दिया है जिसका मकसद वॉशिंगट स्थित सऊदी अरब के राजदूत की हत्या करना था और जिसमें ईरानी सरकार की मिलीभगत थी. 11 अक्टूबर को न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने इस मामले में दो ईरानी नागरिकों पर सऊदी अरब के वाशिंगटन स्थित राजदूत की हत्या के षडयंत्र का आरोप लगाया है.
ईरान ने कहा है कि ये आरोप मनगढ़ंत हैं.
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि जब तक अमरीकी सरकार को यह मालूम न हो कि वह अपने आरोपों को किस तरह से साबित कर सकती है, तबतक वह ऐसा कोई मामला सामने नहीं लाती. याद रहे कि अमरीकी विदेश मंत्री कॉलिन पावेल ने 2003 में संयुक्त राष्ट्र संघ के आगे ऐसा ही खोखला दावा किया था कि अमरीका के पास सद्दाम हुसैन द्वारा व्यापक जनसंहार के हथियार बनाने के पक्के सबूत हैं. आगे चल कर अमरीका ने इसी झूठ का सहारा लेते हुए इराक पर वहशियाना जुल्म ढाये, जो आज भी जारी है. ईरान के पास नाभकीय हथियार होने के अमरीकी आरोप भी झूठे साबित हुए हैं.
अमरीका का कहना है कि ईरान सरकार को इस मामले की जानकारी चाहे नहीं भी रही हो, लेकिन ईरान की सरकार में शामिल किसी व्यक्ति की ऐसी गतिविधियों की जवाबदेही उसी की है. यह तर्क कुछ वैसा ही है जैसे लोक कथाओं के बाघ ने मेमने को सोते का पानी गन्दा करने का आरोप लगाया. मेमने ने कहा की मैं तो सोते के नीचे हूँ , भला यहाँ से मैं पानी कैसे गंदा कर सकता हूँ? इस पर बाघ ने कहा कि तुमने नहीं तो तुम्हारे किसी रिश्तेदार ने गन्दा किया होगा.
उधर अल जजीरा ने इस पूरे मामले की बखिया उधेड़ते हुए इसे किसी जासूसी सिनेमा का कथानक बताया है. अमरीका ने ईरानी नागरिकों पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री करनेवाले एक अमरीकी अपराधी की मदद से मक्सिको के लॉस जेतास गैंगस्टरों को सउदी राजदूत की हत्या का ठेका दिया था. नशीले पदार्थों से जुड़े अपराधों की मुखबिरी करनेवाले इस शख्स ने बताया था की उसके चाचा के एक ईरानी दोस्त महबूब अरबाबसियर ने यह कम सौंपा था। अब तो बस इतना ही करना था की इस किस्से की तार ईरानी रिवोलुश्नरी गार्ड कोर (कुद्स) से जोड़ दिया जाय और ईरान पर 'कड़ी कार्रवाई' का तर्क तैयार. मजेदार बात यह की एफबीआई के निदेशक ने अपने बयान में भी यही बात कही है – “इस साजिश का प्लाट किसी हालिउड फिल्म की पटकथा जैसा है।”
असमाधेय और गहराते आर्थिक संकट तथा वालस्ट्रीट पर कब्ज़ा करो आंदोलन की दोहरी मार झेल रही अमरीकी सरकार की यह ड्रामेबाजी कोई अनोखी बात नहीं. पहले भी वह अपने इशारे पर नाचने से इनकार करने वाले देशों के ऊपर ऐसे ही मनगढंत आरोप लगा कर धौंसपट्टी करता रहा है.
वाल स्ट्रीट पर कब्ज़ा करो आन्दोलन जिस तरह अमरीकी साम्राज्यवाद के कुकर्मों का पर्दाफाश कर रहा है और जिस तरह अरब दुनिया की जनता अपने तानाशाहों के खिलाफ सडकों पर उतर रही है, उससे ध्यान भटकने के लिए अमरीकी शासकों की और से किसी उन्मादी कार्रवाई को अंजाम दिया जाना कोई अचरज कि बात नहीं.
लाखों करोड़ डालर का कर्ज लेकर दुनिया की निहत्थी और बेकसूर जनता पर कहर बरपा करने, अपने देश की जनता को कंगाली में धकेलने, नाक तक कर्ज में डूबने और अपनी साख गवां चुकने के बावजूद अभी अमरीकी शासकों का कलेजा ठंडा नहीं हुआ. वियतनाम की लड़ाई में मात खाने तथा इराक और अफगानिस्तान में करारी हार से उसने कुछ सबक नहीं ली. अमरीका की नब्बे फीसदी जनता और पूरी दुनिया की जनता के दिलों में अमरीकी दरिंदगी के खिलाफ जो लावा जमा हुआ है, वह उसे खाक में मिलाएगी, ये तय है. बस समय की बात है.
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